सोमवार, 29 मई 2006

नज़रों का धोखा!

अगर अपने दिमाग और आँखों को भ्रम में डालना चाहते हैं तो इन तस्वीरों को गौर से देखिए। ये हिलती हुई प्रतीत होती हैं पर हैं नहीं।

























और ये देखिए और बताइए कि ये रेखाएँ समानान्तर हैं या नहीं।










1. इस तस्वीर के मध्य में चार बिंदुओं को 30 सेकंड तक देखिए।
2. अब अपने पास की किसी दीवार पर देखिए।
3. क्या दिखा आपको? या कौन दिखा आपको?

मंगलवार, 16 मई 2006

एक सच्ची डरावनी कहानी (कमज़ोर दिल वाले न पढ़ें)

कृपया कमज़ोर दिल वाले न पढ़ें। यह एक सच्ची घटना है जो पिछले महीने लोनावाला के पास घटी।
एक युवक मुम्बई से पुणे अपनी कार से जा रहा था। जब वह घाट के पास पहुँचा तभी अनहोनी घटी। उसकी कार खराब हो गई और वहाँ दूर-दूर तक कोई नज़र भी नहीं आ रहा था। वह किसी कार से पास के कस्बे तक लिफ्ट लेने की आशा में सड़क के किनारे-किनारे चलने लगा। रात अँधेरी और तूफानी थी। पानी झमाझम बरस रहा था। जल्दी ही वह पूरी तरह भीग गया और काँपने लगा। उसे कोई कार नहीं मिली और पानी इतनी तेज बरस रहा था कि कुछ मीटर दूर की चीजें भी नहीं दिखाई दे रही थीं। तभी उसने एक कार को अपनी तरफ आते देखा जो उससे पास आकर धीरे हो गई। लड़के ने आव देखा न ताव, झट से कार का पिछला दरवाजा खोला और अंदर कूद गया। जब वह अपने मददगार को धन्यवाद देने के लिए आगे झुका तो उसके होश उड़ गए क्योंकि ड्राइवर की सीट खाली थी। आगे की सीट खाली और इंजन की आवाज़ न होने के बावजूद भी कार सड़क पर चल रही थी। लड़के ने तभी आगे सड़क पर एक मोड़ देखा। अपनी मौत नजदीक देख वह लड़का जोर-जोर से भगवान को याद करने लगा। तभी खिड़की से एक हाथ आया और उसने कार के स्टीयरिंग व्हील को मोड़ दिया। कार मोड़ से सकुशल आगे बढ़ गई। लड़का बुरी तरह भयभीत हो कर देखता रहा कि कैसे हर मोड़ पर खिड़की से एक हाथ अंदर आता और स्टीयरिंग व्हील को मोड़ देता। आखिरकार उस लड़के को कुछ दूरी पर रोशनी दिखाई दी। लड़का झट से दरवाजा खोल कर नीचे कूदा और सरपट रोशनी की तरफ दौड़ा। यह एक छोटा सा कस्बा था। वह सीधा एक ढाबे में रुका और पीने को पानी माँगा। फिर वह बुरी तरह रोने लगा। थोड़ी देर बाद सामान्य होने पर उसने अपनी भयानक कहानी सुनानी शुरु की। ढाबे में सन्नाटा छा गया कि तभी.............................
संता और बंता ढाबे में पहुँचे और संता लड़के की तरफ इशारा करके बंता से बोला कि अरे यही वह बेवकूफ लड़का है ना जो हमारी कार में कूदा था जब हम कार को धक्का लगा रहे थे।

बुधवार, 10 मई 2006

माँ तुझे सलाम!

एक बार जब एक बच्चा धरती पर जन्म के लिए तैयार था तो उसके मन में भय और आशंका के कई बादल उमड़ रहे थे। उसने भगवान से कहा कि मैंने सुना है कि आप मुझे जल्दी ही धरती पर भेज रहे हैं, पर मैं तो इतना छोटा और निशक्त हूँ तो वहाँ कैसे रहूँगा? भगवान ने कहा कि बहुत से फरिश्तों में से मैंने तुम्हारे लिए एक फरिश्ता चुना है जो धरती पर तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है और जो तुम्हारा ख्याल रखेगा। बच्चे ने फिर पूछा कि यहाँ आपके पास तो मैं बस गाता और मुस्कराता हूँ और खुश रहता हूँ वहाँ मेरा क्या होगा? भगवान ने कहा कि वह फरिश्ता तुम्हारे लिए गीत गाएगा और इतना प्यार देगा कि तुम वहाँ भी खुश रहोगे। बच्चे ने फिर पूछा कि मैं वहाँ के लोगों की भाषा कैसे समझूँगा? भगवान ने कहा कि वह फरिश्ता तुम्हें नए और मीठे शब्द सिखाएगा और धैर्य व मेहनत से बोलना सिखाएगा। बच्चे ने फिर पूछा कि अगर मेरा आपसे बात करने का मन करेगा तो मैं क्या करूँगा? भगवान ने कहा कि वह फरिश्ता तुम्हें हाथ जोड़कर प्रार्थना करना सिखाएगा। बच्चा फिर बोला कि पर मैंने सुना है कि धरती पर बहुत से बुरे लोग हैं, मुझे उनसे कौन बचाएगा? भगवान ने उसे बाँहों में भरकर कहा कि वह फरिश्ता तुम्हारी उन बुरे लोगों से रक्षा करेगा चाहे उसे अपनी जान की बाजी क्यों न लगानी पड़े।

तभी स्वर्ग में शांति सी छा गई और धरती से आवाज़ें स्पष्ट सुनाई पड़ने लगीं। बच्चे ने कहा कि अब मैं धरती पर जाने लगा हूँ तो आप मुझे जल्दी से मेरे फरिश्ते का नाम बता दीजिए। भगवान बोले कि तुम्हारे फरिश्ते का नाम कोई मायने नहीं रखता क्योंकि तुम उसे केवल 'माँ' कहकर पुकारोगे।