बुधवार, 21 सितंबर 2005
पैरों के निशान
एक रात एक आदमी ने एक सपना देखा । उसने सपने में देखा कि वह और भगवान समुद्र तट पर साथ-साथ टहल रहे हैं । आकाश में उसकी बीती जिंद़गी के दृश्य चलचित्र की तरह चल रहे थे । उसने देखा कि उसकी जिंद़गी के हर पल में रेत में दो जोड़ी पैरों के निशान थे, एक उसके पैरों के और दूसरे भगवान के पैरों के । जब उसकी जिंद़गी का आखिरी दृश्य उसके सामने आया तो उसने पीछे मुड़कर रेत में पैरों के निशानों को देखा। उसने पाया कि उसकी जिंद़गी के कई पलों में रेत में केवल एक जोड़ी पैरों के निशान थे। उसने महसूस किया कि ये उसकी जिंद़गी के सबसे बुरे और दुख-भरे पल थे । इस बात से वह बहुत परेशान हुआ और उसने भगवान से पूछा कि “भगवान आपने तो कहा था कि जब मैंने एक बार आपका अनुसरण करने का निश्चय कर लिया तो उसके बाद आप जिंद़गी की राह पर मेरा साथ नहीं छोड़ेंगे । पर मैंने पाया है कि मेरी जिंद़गी के सबसे मुश्किल पलों में रेत में केवल एक जोड़ी पैरों के निशान हैं । मैं समझ नहीं पा रहा कि जब मुझे आपकी सबसे ज्यादा ज़रुरत थी तब आपने मुझे अकेला क्यों छोड़ दिया ?” भगवान ने उत्तर दिया कि “मेरे बच्चे, मैंने तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ा । तुम्हारे बुरे और मुश्किल पलों में तुम केवल एक जोड़ी पैरों के निशान इसलिए देख रहे हो क्योंकि उस समय मैंने तुम्हें गोद में उठाया हुआ था ।”
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4 टिप्पणियां:
दुख मे सुमीरन सब करे सुख मे करे ना कोय
सुख मे सुमिरन करे तो दुख काहे होये
आशा है आप लिखती रहेंगी और हम पढते रहेंगे
आशीष
शालिनी , आपका हिन्दी ब्लाग-जगत में हार्दिक स्वागत । आपकी प्रविष्ष्टियाँ मन को छू गयीं ।
बहुत सुन्दर
बहुत अच्छा लगा पढकर, आपका हिन्दी चिट्ठाजगत मे हार्दिक स्वागत है. कृप्या यहाँ विजिट करें
http://www.akshargram.com/sarvagya/index.php/Welcome
हिंदी ब्लागजगत में स्वागत तथा नियमित लिखते रहने के लिये शुभकामनायें.
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