सोमवार, 5 दिसंबर 2005

रेत और पत्थर

एक बार दो दोस्त रेगिस्तान में से होकर कहीं जा रहे थे । रास्ते में उनमें किसी बात पर बहस हो गई और एक दोस्त ने दूसरे दोस्त को थप्पड़ मार दिया । जिस दोस्त को थप्पड़ मारा गया था वह बहुत दुखी हुआ पर उसने बिना कुछ बोले रेत पर लिखा, आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा। थोड़ा और आगे चलने पर उन्हें एक झील दिखाई दी और उन दोनों ने पानी में नहाने का विचार बनाया । पहला दोस्त जिसे थप्पड़ लगा था, दलदल में फँस गया और डूबने लगा । तब दूसरे दोस्त ने उसकी जान बचाई । डूबने से बचने पर उसने एक पत्थर पर लिखा, आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई। इस पर दूसरे दोस्त ने पूछा कि जब मैनें तुम्हें थप्पड़ मारा तब तुमने रेत पर लिखा पर जब मैंने तुम्हारी जान बचाई तब तुमने पत्थर पर लिखा, ऐसा तुमने क्यों किया ? इस पर पहले दोस्त ने उत्तर दिया, जब कोई तुम्हें दुख पहुँचाता है तो उसे रेत पर लिखना चाहिए जिससे क्षमा की आँधी उसे मिटा सके। पर जब कोई तुम्हारे साथ भलाई करता है तो उसे पत्थर पर लिखना चाहिए जिससे समय की हवा भी उसे मिटा न सके।
अपने साथ किए गए बुरे बर्ताव को रेत पर और भलाई को पत्थर पर लिखना सीखिए।

5 टिप्‍पणियां:

Jitendra Chaudhary ने कहा…

बहुत सुन्दर, कंही पहले भी पढा था, आपने फ़िर याद दिला दिया। अच्छा लगा।

बेनामी ने कहा…

its really a good lesson to be learnt. keep it up.
Raman

हिंदी ब्लॉगर/Hindi Blogger ने कहा…

बहुत बढ़िया.

Pratik Pandey ने कहा…

इस शिक्षाप्रद कहानी को पढ़कर अच्‍छा लगा।

बेनामी ने कहा…

बहुत ही बढ़िया!!