एक शाम दादाजी अपने पौत्र से बैठे बात कर रहे थे। दादाजी बोले – आज मैं तुम्हें उस युद्ध के बारे में बताता हूँ जो हम सबके शरीर में दो शक्तियों के बीच होता है।
एक शक्ति बुराई है जिसका भोजन गुस्सा, जलन, द्वेष, घमंड, दुख, पछतावा, लालच, निराशा, झूठ, पाप, आक्रोश और अहंकार हैं। दूसरी शक्ति अच्छाई है जिसका भोजन खुशी, शांति, प्रेम, आशा, पवित्रता, मानवता, दयालुता, उदारता, सच, विश्वास, दया और सहानुभूति है।
पौत्र ने कुछ देर विचार कर अपने दादाजी से पूछा कि इस युद्ध में किस शक्ति की विजय होती है? दादाजी तुरंत बोले – उसी की जिसे तुम भोजन देते हो।
सोमवार, 7 अगस्त 2006
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
2 टिप्पणियां:
बिलकुल सही फरमाया - दादाजी की कुछ और भी सुनाउ
Shuaib ji, बिल्कुल सुनाइये ।
एक टिप्पणी भेजें